》WORLD TOURISM Desk: प्रेम के सबसे बड़े प्रतीक ताजमहल को बनवाने वाले शाहजहां और बेगम मुमताज महल की बेहद रोमांटिक यादें मध्य प्रदेश के बुरहानपुर से भी जुड़ी हैं। शाहजहां ने आगरा का ताजमहल तो अपनी प्रिय बेगम की मौत के बाद उनकी याद में बनवाया था, लेकिन शाहजहां और मुमताज बेगम का प्यार तो बुरहानपुर में बने फारुखी काल के शाही किले में ही परवान चढ़ा था। इस किले की दरों-दीवारें ही नहीं कमरों से लेकर दालान और हमाम तक आज भी शाहजहां और मुमताज के हसीन प्यार के गवाह हैं।
Burhanpur and the story of Shahi Qila
27 सितंबर के दिन वर्ल्ड टूरिज्म डे मनाया जाता है। इस मौके पर Vijayrampatrika.com आपको बता रहा है भारत की कुछ ऐसी जगहों के बारे में जहां लोग अक्सर घूमने पहुंचते हैं। इस कड़ी में हम आज बताने जा रहे हैं बुरहानपुर के शाही किले के बारे में।
यहां आलीशान कक्षों में रात बिताते थे बादशाह
बतौर बुरहानपुर गवर्नर शाहजहां इस किले में लगभग पांच वर्ष तक रहे। यह किला शाहजहां को इतना पसंद था कि अपने कार्यकाल के पहले तीन वर्षों में ही उन्होंने किले की छत पर दीवाने आम और दीवाने खास नाम से दो दरबार बनवा दिए थे। शाहजहां ने किले में इस सबसे अलहदा एक ऐसी चीज बनवाई थी, जहां वे अपनी बेगम के साथ सुकून के पल बिताते थे। मुमताज की मौत भी बुरहानपुर में ही हुई थी। शायद बहुत कम लोग यह जानते होंगे की ताजमहल बनने तक मुमताज का मृत शरीर यहीं दफनाया गया था।
ऐसा है किले का इतिहास :
सन् 1603 ई से मुगल बादशाह के आगमन का क्रम निंरतर जारी रहा था। शाहजहां बुरहानपुर के सूबेदार थे। 1621 ई में दक्षिण के आक्रमण के सिलसिले में वह कई वर्ष तक यहां रहे थे। इस अवधि में अनेक शानदार इमारतें बनवायी गयीं। विशेषकर दीवान-ए-आम बनवाया गया। तीन वर्षों तक यहीं दरबार सजाया गया। शाहजहां के अतिरिक्त भी अन्य मुगल बादशाहों का इसमें निवास रहा।
औरंगजेब, मोहम्मद शुजा और शाह आलम ने भी इस किले में निवास किया था। इसी महल में मुमताज महल ने चौदहवें बच्चे को जन्म दिया और यही सात जून 1639 ई के प्रात: काल होने से पूर्व शाहजहां की गोद में अपनी जिंदगी की अंतिम सांस ली। उन्हें ताप्ति नदी के किनारे जैनाबाद के प्रसिद्ध बाग में दफनाया गया था।
यहां गैलरी में अंदर देखें शाही किले के फोटोज…