》जीवन दर्शन Desk: कार्तिक कृष्ण अमावस्या के दिन दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवती श्रीमहालक्ष्मी एवं भगवान गणेश की नई प्रतिमाओं का प्रतिष्ठापूर्वक विशेष पूजन किया जाता है और अंत में मां लक्ष्मी की आरती की जाती है। जानिए कैसे करें मां लक्ष्मी की आरती-
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आरती के लिए एक थाली में स्वस्तिक आदि मांगलिक चिह्न बनाकर चावल तथा पुष्पों के आसन पर शुद्ध घी का दीपक जलाएं। एक अलग थाली में कर्पूर रख कर पूजन स्थान पर रख लें। आरती की थाली में ही एक कलश में जल लेकर स्वयं पर छिड़क लें। पुन: आसन पर खड़े होकर अन्य पारिवारिक जनों के साथ घंटी बजाते हुए महालक्ष्मीजी की आरती करें-
ऊं जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता।
तुमको निसिदिन सेवत हर विष्णु-धाता।। ऊं।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।। ऊं…।।
दुर्गारूप निरंजनि, सुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, रिद्धि-सिद्धि धन पाता।। ऊं…।।
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधिकी त्राता।। ऊं…।।
जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहिं घबराता।। ऊं…।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता।
खान-पान का वैभव सब तुमसे आता।। ऊं…।।
शुभ-गुण-मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता।। ऊं…।।
महालक्ष्मी(जी) की आरती, जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।। ऊं…।।
मंत्र पुष्पांजलि- दोनों हाथों में कमल आदि के फूल लेकर हाथ जोड़ें और यह मंत्र बोलें-
ऊं या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी:
पापात्मनां कृतधियां ह्रदयेषु बुद्धि:।
श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा
तां त्वां नता: स्म परिपालय देवि विश्वम्।।
ऊं श्रीमहालक्ष्म्यै नम:, मंत्रपुष्पांजलिं समर्पयमि।
– ऐसा कहकर हाथ में लिए फूल महालक्ष्मी पर चढ़ा दें। प्रदक्षिणा कर प्रणाम करें, पुन: हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थना करें-
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वरि।।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे।।
सरजिजनिलये सरोजहस्ते धनलतरांशुकगंधमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्वभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम्।।
पुन: प्रणाम करके ऊं अनेन यथाशक्त्यर्चनेन श्रीमहालक्ष्मी: प्रसीदतु। यह कहकर जल छोड़ दें। ब्राह्मण एवं गुरुजनों को प्रणाम कर चरणामृत तथा प्रसाद वितरण करें। क्लिक कर यहां देखें महालक्ष्मीजी की पूजा से पहले क्या करना चाहिए?
विसर्जन- इसके बाद चावल लेकर गणेश एवं महालक्ष्मी की प्रतिमा को छोड़कर अन्य सभी आवाहित, प्रतिष्ठित एवं पूजित देवताओं पर चावल छोड़ते हुए निम्न मंत्र से विसर्जित करें-
यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनरागमनाय च।।
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