》जीवन दर्शन Desk: हिंदुस्तान में करवा चौथ सुहागिन महिलाओं का महापर्व है। इसका उपवास हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है। देश भर में इस दिन के लिए सुहागन महिलाओं सहित नवविवाहिताओं में गजब का उत्साह होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में कई जगह इस पर्व को नहीं मनाया जाता है। कहा जाता है कि अगर किसी भी सुहागन महिला ने इस व्रत को रखा तो वह विधवा हो जाती है।
Vijayrampatrika.com यहां आपको करवाचौथ पर्व पर व्रत-विधियां और देशभर में इससे जुडी़ अलग-अलग मान्यताओं से आपको अवगत कराएगा। इस बार यह पर्व 19 अक्टूबर, बुधवार को है।
यहां नहीं मनता करवा-चौथ
फरीदाबाद. पूरे देश में सुहागिन महिलाओं में करवा चौथ को लेकर खुमार है, वहीं हरियाण के करनाल के तीन गांव ऐसे हैं जहां सैकड़ों सालों से ये पर्व नहीं मनाया जाता है। कतलाहेडी, गोंदर व औंगद के लोगों की मान्यता है कि महिलाएं ये व्रत करेंगी तो उनका सुहाग उजड़ जाएगा। बताया जाता है कि सदियों से यहां के परिवार श्रापित हैं और पूर्व में हुई भूल का आज भी पश्चाताप कर रहे हैं। हालांकि इन गांवों से विवाह होकर गईं लड़कियां अपने ससुराल में करवा चौथ का व्रत रखती हैं।
… और यहां ग्रामीणों को मिला था श्राप
करीब 600 साल पहले राहड़ा की लड़की की शादी गोंदर के एक युवक से हुई थी। मायके में करवा चौथ से पहले की रात उसे सपना आया कि उसके पति की हत्या हो गई है और उसका शव बाजरे की गठरियों में छुपाकर रखा गया है। उसने यह बात मायके वालों को बताई। मायके वाले उसे लेकर करवा चौथ के दिन गोंदर पहुंचे। वहां पति के न मिलने पर उसने लोगों को सपने वाली बात बताई। उसके बताए जगह पर लोगों ने देखा कि उसके पति का शव पड़ा है।
करवा चौथ थी उस दिन
उस दिन उसने करवा चौथ का व्रत रख रखा था, इसलिए उसने घर में अपने से बड़ी महिलाओं को करवा देना चाहा तो उन्होंने लेने से मना कर दिया। इससे व्यथित होकर वह करवा सहित जमीन में समा गई और उसने श्राप दिया कि यदि भविष्य में इस गांव की किसी बहू ने करवा चौथ का व्रत किया तो उसका सुहाग उजड़ जाएगा। तब से गांव में किसी ने व्रत नहीं रखा है। सालों बाद गोंदर में से कतलाहेड़ी और औंगद गांव अलग हुए। चूंकि उनके वंशज गोंदर के थे, इसलिए परंपरा यहां भी बरकरार रही। चौहान गौत्र की बहुओं ने इसके बाद कभी यह पर्व नहीं मनाया।
दिए गए फोटोज़ छुएं और अंदर स्लाइड्स में पढ़ें: देश में और कहां-कहां नहीं रखा जाता इस व्रत को…
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