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राधा जन्माष्टमी आज: माता के गर्भ से नहीं जन्मीं राधा, ये है पूजन विधि

radha-janmashtami》जीवन दर्शन Desk: हिंदु धर्म ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन व्रज में श्रीकृष्ण के प्रेयसी राधा का जन्म हुआ था। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, राधा भी श्रीकृष्ण की तरह ही अनादि और अजन्मी हैं, उनका जन्म माता के गर्भ से नहीं हुआ। इस पुराण में राधा के संबंध में बहुत ही ऐसी बातें बताई गई हैं जो बहुत कम लोग जानते हैं।

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राधाष्टमी इस बार 9 सितंबर, शुक्रवार यानि आज है। इस अवसर पर Vijayrampatrika.com आपको ‘हमारौ ब्रज‘ सेक्शन के तहत श्री राधे से जुडी़ तमाम रोचक बातें बताएगा। यहां आप उनकी पूजा विधि और उत्थान के बारे में पढि़ए।

श्रीकृष्ण के शरीर से ही प्रकट हुई थीं राधा
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, श्रीकृष्ण के बाएं अंग से एक सुंदर कन्या प्रकट हुई, प्रकट होते ही उसने भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में फूल अर्पित किए। श्रीकृष्ण से बात करते-करते वह उनके साथ सिंहासन पर बैठ गई। यह सुंदर कन्या ही राधा हैं।
एक बार गोलोक में श्रीकृष्ण विरजादेवी के समीप थे। श्रीराधा को यह ठीक नहीं लगा। श्रीराधा सखियों सहित वहां जाने लगीं, तब श्रीदामा नामक गोप ने उन्हें रोका। इस पर श्रीराधा ने उस गोप को असुर योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया। तब उस गोप ने भी श्रीराधा को यह श्राप दिया कि आपको भी मानव योनि में जन्म लेना पड़ेगा। वहां गोकुल में श्रीहरि के ही अंश महायोगी रायाण नामक एक वैश्य होंगे। आपका छाया रूप उनके साथ रहेगा। भूतल पर लोग आपको रायाण की पत्नी ही समझेंगे, श्रीहरि के साथ कुछ समय आपका विछोह रहेगा।

श्री राधे के बारे में और अधिक जानने के लिए छुएं ये फोटोज और अंदर स्लाइड्स में पढें…
साथ में पूजन विधि भी देखना न भूलें…

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