वेस्ट हेमिस्फेयर की तरह अब इंडिया में भी रिश्तों को लेकर बहुत कुछ बदला है। लव, मैरिज और डिवॉस की चर्चाएं अक्सर सुनने को मिल जाती हैं। कभी न कभी यह सोचने को मजबूर होना पड़ता है कि ‘रिलेशनशिप’ को ट्रस्ट कैसे करें, एंड द् ट्रू लाइफ !
शराबी या ब्लूडथ्रस्टी हसबैंड के साथ डेट बिताने के बजाए फीमेल्स उन्हें ‘निकालना’ पसंद करती हैं और ऑप्शन मिल भी जाता है डिवॉस। इस प्रकार, दुर्भाग्यवश बच्चों को या तो मां का प्यार मिल पाता है, या पिता का। कहने का सेंस ये है कि अकेले कहलाने का डर नहीं लगता, हां लोकलाज के भय से रिश्ता बनाए रखना जल्दी समाप्त हो जाता है।
Www.vijayrampatrika.wordpress.com/पर रीडर्स के कर्इ सवाल आए, जिनमें रिलेशनशिप को स्ट्रांग और केयरफ्री बनाए रखने की चाहत थी। लिहाजा टॉपिक पर प्रस्तुति देना आवश्यक है.. ।
तो यहां जानिए आप, क्या करें ऐसी स्थिति में जब हों अकेलेपन से फ्यूज्ड या लाइफ में ‘वो’ को निकालने के लिए। रिलेशन को मजबूती देने के लिए, या फिर असाइड डिस्ट्रबिंग खत्म करने के लिए:
अरेंज मैरिज Vs लव मैरिज
मॉडर्न युग में यूथ्स के थॉट्स, खासकर मेट्रो सिटीज में बसने वाले सांस्कृतिक विवाह में दिलचस्पी नहीं लेते। वे खुले रहने के लिए शौकिया टर्म्स पर ज्यादा ध्यान देते हैं। इस दौरान बॉयज ही नहीं, गर्ल्स भी एक साथी की तलाश में रहती हैं। इन मामलों में आगे बढ़ते हुए कुछ लोग अपने पेरेंट्स को दूर रखते हैं। जब दोनों एक दूसरे से अलग न होने की स्थिति में आ जाते हैं तो शादी के ऑप्शन पर क्लिक कर देते हैं।
चूक यहां होती है: दोनों ने एक-दूसरे को समझा यह तो ठीक है, लेकिन शादी कोर्इ खेल नहीं है, जिंदगी है। जिंदगी जीने के लिए संस्कार जरूरी हैं, सीमाएं जरूरी हैं, केवल खुला रहने से काम नहीं चलता कि आप बिना झिझक अपने साथी से कुछ भी कह दें। जरूरी होता है संस्पेंस। सहनशीलता और सबसे खास, दोनों की मर्यादाएं। सामान्यत: मर्यादाएं अरेंज मैरिज में होती हैं, चूंकि इसमें दोनों के पेरेंट्स का मिलन हुआ था। केवल वाइफ या हसबैंड का नहीं, जो झगड़ा होते ही लवलाइफ वालों की तरह अलग हो जाएं।
शक की सुर्इ: सच या झूंट की पहचान पर अटकते हैं
लव और रोमांस अलग नहीं है, जहां आइकॉन्टेक्ट लव के लिए बाध्य करता है, वहीं लव होती ही रोमांस शुरू हो जाता है। लेकिन किसी वजह से दोनों में अगर दो दिन बात नहीं हुर्इ, और मैसेज… कॉल रिसीव नहीं किए गए तो शक करना सामने आता है। कुछेक जेंट अपने पार्टनर को भनक नहीं लगने देते और ‘वो’ के रूप में लाइफ में तीसरे की एंट्री हो जाती है। इससे निपटने के लिए जरूरी है कि एक-दूसरे के फेस को एक-टक देखें, यदि चेहरा कुछ शंका वाला हो तो समझ जाएं, कुछ तो हुआ है !
यदि हसबैंड मक्कार है: तो डिवॉस के क्लिक से पहले सोचें ये भी
शराब अधिक पीना, रात को लेट घर लौटना, बिना बताए कहीं भी चले जाना, मेरी नहीं सुनना, मारपीट पर उतारू हो जाना… ये सवाल आते हैं फीमेल्स की ओर से। यह कंडीशन कम कांटेदार नहीं होती कि सबके खाना बनाना, कपडे धोना और घर के काम निपटाना। ऊपर से उनकी नेमत, भर्इ ऐसे कइसे चलेगा? यहां कुछ मौकों पर तो पेरेंटस भी नजरअंदाजी कर देते हैं, इसलिए घुटन में जीना दिखता है, जिससे बचाव भी आसान नहीं है। लेकिन फिक्र बच्चों की भी है, इस दौरान फीमेल्स किसी विश्वासपात्र के साथ बातचीत करके हल निकालने का प्रयास जरूर करें। यदि आपको यकीन हो गया है कि कानूनन भी पार्टनर ठीक बर्ताव को राजी नहीं है तो ही तलाक की सोचें।
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