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ब्रज नहीं, जयपुर के इन पहाड़ों में भी बजी थी कृष्ण की बंसी, देखें चरणों के निशान

ब्रज के बाहर इन पहाड़ों पर भी बजी कृष्ण की बंसी, किया था द्वारिका कूचहमारौ ब्रज Desk: वृंदावन और मथुरा का नाम आते ही दिल और दिमाग में सबसे पहले कृष्ण जी की सुंदर छवि आती है। मथुरा को कृष्ण की जन्म स्थली और नंदगांव को उनका लीला स्थल, बरसाने को राधा जी की नगरी कहा जाता है। वहीं वृंदावन को श्रीकृष्ण और राधा की रास स्थली कहा जाता है।

ब्रज में वैसे तो उनकी कर्इ निशानियां आज भी मौजूद हैं, लेकिन यहां से करीब सवा दो सौ किलोमीटर दूर आमेर के पहाडों में भी श्रीकृष्ण के चरणों के निशान देखे जा सकते हैं। ये पर्वत गुलाबी नगरी जयपुर में स्थित हैं। मान्यता हैं कि श्रीकृष्ण जब मथुरा छोड़ द्वारिका के लिए रवाना हुए तो उनके पग आमेर व विराटनगर होते हुए इन पहाडियों पर पडे। इतना ही नहीं, श्रीहरि ने ग्वाल-बालों काे साथ ले मुरली भी बजार्इ थी।

श्रीकृष्ण की यात्रा के गवाह हैं नाहरगढ़ के अम्बिका वन
Real Appearance of Sri Krishna spotted at Charan Mandir, Nahargarh Hills
श्रीमद् भागवत महापुराण के एक प्रसंग के अनुसार, भगवान योगेश्वर कृष्ण नंदबाबा व ग्वालों के संग अम्बिका वन में आए। उन्होंने अम्बिकेश्वर महादेव की पूजा की। वो मंदिर आज भी आमेर में मौजूद है। अम्बिका वन में नंदबाबा को एक अजगर ने पकड़ लिया तब श्री कृष्ण ने उन्हें अजगर से मुक्त कराया। भागवत के मुताबिक वह अजगर इन्द्र के पुत्र सुदर्शन के रूप में प्रकट हुआ। सुदर्शन ने कृष्ण को बताया कि उसने कुरूप ऋषियों का अपमान कर दिया था, इससे नाराज ऋषियों ने अजगर बनने का श्राप दिया। नाहरगढ़ पहाड़ी पर चरण मंदिर के नीचे सुदर्शन की खोळ और नाहरगढ़ में सुदर्शन मंदिर आज भी प्रसिद्ध है।

फोटोज छुएं और अंदर स्लाइड्स में पढें पूरी खबर :
CHARAN MANDIR history and shri krishna temple photos
नाहरगढ़ पहाड़ी पर क्यों मौजूद हैं कृष्ण के चरणों के निशान, किसने बनाया मंदिर?
कहां है अंबिका वन और चरण मंदिर में कान्हा संग कौन पूजे जाते हैं?
अज्ञातवास के दौरान पांडवों से कर्इ बार यहां मिलने आए थे श्रीकृष्ण

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