》जीवन दर्शन Desk: शास्त्रों में श्रीहरि विष्णु के 24 अवतारों का वर्णन है, जिनमें भगवान का 22वां अवतार श्रीकृष्ण के रूप में था। वे द्वापर युग में धरती सामान्य मानव की तरह प्रकृट हुए, नटखटी बचपन बीता और पूर्ण पुरुष जैसे जिए। श्रीकृष्ण में ऐसी कर्इ कला और विद्याएं थीं जो उन्हें पूर्णावतार बताने के लिए काफी हैं। इसलिए, श्रीमद्-भागवत गीता, महाभारत और ब्रह्म वैवर्त जैसे पुराणों में इनकी महिमा का विभिन्न प्रकार से उल्लेख है।
अष्टचक्र से रहा श्री कृष्ण का खास ताल्लुक !
Life Of Lord Krishna And Number 8
अष्टमी को जन्मे कन्हैया के जीवन में आठ के अंक का खास संयाेग रहा। चाहे वे स्वंय श्रीकृष्ण हों या उनकी पत्नी, परिवार अथवा शत्रुओं के इर्द-गिर्द घूमते समीकरण। मान्यता हैं कि आठ का अंक उनके गोलोकवास तक ताल्लुक रहा। वर्ष 2016 में 25 अगस्त, गुरुवार को जन्माष्टमी पर्व से जुडी़ विशेष सीरिज में ‘कृष्ण-कथा‘ के तहत आज हम आपको बता रहे हैं श्रीकृष्ण के अष्ठचक्र की बातें।
1. आठवीं संतान थे वसुदेवी जी के
ब्रज की धरा पर रास रचाने वाले और भक्तों के पालनहार कन्हैया का जन्म आठवें मनु के काल में हुअा था। राक्षसराज कंस ने उनके माता-पिता वसुदेव और देवकी को कैद में रख रखा था। ऐसा उसने एक भविष्यवाणी में खुद के अंत की सुने जाने के कारण किया था। जिसमें उसकी बहन की आठवीं संतान द्वारा उसका वध करने का सत्य छुपा हुआ था। देवकी के आठवें गर्भ श्रीकृष्ण ही थे।
फोटोज छुएं और अंदर स्लाइड्स में पढें- और क्या थे कन्हैया से आठ के अंक से अजब संयोग..….
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2. अष्टमी को जन्मे थे/(The Story of the Birth of Lord Krishna) : कंस द्वारा देवकी की सात संतानों को मार देने के पश्चात् भगवान विष्णु ने स्वंय को साधारण इंसान की तरह आश्चर्यजनिक रूप से कृष्ण के अवतार में पृकट किया। वे आठवें पुत्र के रूप में अष्टमी के दिन जन्मे थे, तब से लोग कृष्ण जन्माष्टमी मनाते हैं। अब आठ के अंक से जुडी बहुत ही रोचक बातें जानने के लिए क्लिक करते रहें आगे की स्लाइड्स पर…..
3. आठ सखियां : वैसे तो भगवान् कृष्ण की काफी भक्त थीं, लेकिन ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार चन्द्रावली, श्यामा, शैव्या, पद्या, राधा, ललिता, विशाखा और भद्रा आदि आठ सखियां हैं। आगे की स्लाइड्स में जानिए आठ ही थीं पत्नियां……
4. आठ ही पटरानियां: कहते हैं जो स्त्री कृष्ण को देख लेती वो खुद को उन्हें समर्पित कर देती थी। इनमें अपनी बाललीलाओं से परे, उन्होंने 16 हजार कन्याओं काे राक्षसों की कैद से मुक्त कराया था तो वे उन्हें ही अपना सबकुछ मान बैठीं। लेकिन श्रीकृष्ण की आठ रानियां थीं, जिनसे उनकी शादी हुर्इ। इनमें रुक्मिणी, जाम्बवंती, सत्यभामा, मित्रवंदा, सत्या, लक्ष्मणा, भद्रा और कालिंदी हैं। जबकि अपने प्राणों से भी प्रिय राधा श्रीकृष्ण की पत्नी नहीं थीं, राधा की तरह अन्य औरतों का रिश्ता भी भक्त-परमात्मा के बीच रहा।
5. आठ प्रमुख नाम, जिन्हें लेते हैं उनके भक्त: वैसे तो श्रीकृष्ण के नाम बहुत थे लेकिन उनकी पूजा में सर्वाधिक इन्हें पुकारा जाता है- नंदलाल, गोपाल, बांके बिहारी, कन्हैया, केशव, श्याम, रणछोड़दास, द्वारिकाधीश और वासुदेव। इनके अलावा भक्तों ने और नाम भी रखे जैसे- मुरलीधर, माधव, गिरधारी, घनश्याम, माखनचोर, मुरारी, मनोहर, हरि, रासबिहारी आदि।
6. आठ चिह्न जिनमें विराजे हैं कान्हा: भक्तों की जो पूजा सामग्री होती है उनमें श्रीकृष्ण की आठ चिह्नित हैं -सुदर्शन चक्र, मोर मुकुट, बंसी, पितांभर वस्त्र, पांचजन्य शंख, गाय, कमल का फूल और माखन मिश्री। बचपन से लेकर पूर्ण पुरुष तक श्रीकृष्ण का इन आठों से खास ताल्लुक रहा।
7. आठ नगर, जो कहे गए हैं कृष्ण-स्थली: गोकुल, नंदगाव, वृंदावन, गोवर्धन, बरसाना, मधुवन श्रीकृष्ण की लीलाओं के लिए जाने जाते हैं। राजग्रह मथुरा सहित इन सातों को ब्रज-भूमि कहा जाता है। कंस और कुछ अन्य राक्षसों के वध बाद श्रीकृष्ण ने इन सबसे दूर एक नगरी और बसार्इ। जिसे विश्वकर्मा महाराज ने समुद्र के सहारे स्थापित कराया। इस तरह कुल आठ नगर हो गए। इनमें उत्तर प्रदेश के अंतर्गत ब्रज-भूमि के स्थल अस्तित्व में है जबकि द्वारका आज के गुजरात राज्य में थी।
8. ये आठ महादैत्य थे श्रीकृष्ण के शत्रु : कंस, जरासंध, शिशुपाल, कालयवन, पौंड्रक। कंस तो मामा था। कंस का श्वसुर जरासंध था। शिशुपाल कृष्ण की बुआ का लड़का था। कालयवन यवन जाति का मलेच्छ जा था जो जरासंध का मित्र था। पौंड्रक काशी नरेश था जो खुद को विष्णु का अवतार मानता था। इनके अलावा दो-एक को अर्जुन के साथ एक जंगल पर वार के दौरान मुक्ति दी गई थी।
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